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Saturday, May 16, 2015

सफ़र

हररोजकी राहसे गुजर रहे थे। इसबार ऑंखे खुली थी। राह अनजान थी और सफ़र नया।
तुला इतकं मोठेपण देऊ की तु ते सहन नाही करु शकणार. मग माझ्यावरच कोसळून मला गाडशील. आणि मी म्हणेन की तु मला तुझ्यात सामावून घेतलस.

इन आंसूओं ने कभी पलकोको किनारा नहीं किया| जझबातोंने कभी लफ्ज़ोका सहारा नही लिया| काश ऐसा होता, तो आज एक अलग दास्तां बयॉं होती|

Monday, April 28, 2014

पापी

दुनिया में सबसे बडा पापी तो पेट है, वरना इन्सान तो खुदा का नेक बंदा है।

Monday, October 28, 2013

बदलाव

हवा में महल बनाने की फितरत थी हमारी,
फिर एक दिन हवानेभी रुख बदल दिया...

Monday, August 26, 2013

समझौता

हम अपनी शराफत की खुब खातिरदारी करते है,
उसने हमारी हैवानियत के राज जो छुपा रखे है।

कुछ तो हो

गलत ही सही कुछ काम तो किया होता,
पछतावा ही सही कुछ एहसास तो हुआ होता,
पहाडकी चट्टान नही, छोटा पत्थर ही सही,
किसीने उठाके हमें फेंक तो दिया होता...

Wednesday, August 7, 2013

एकांत

तोः मला एकांत हवा... नि एकांतात तू.
तीः दोघांच एकटेपण दूर करण्यासाठी नाही तर दोघांचं एकटेपण एक करायला.

Wednesday, June 6, 2012

नशा

हर नशा होटों से लगाकर नही किया जाता...
कुछ जाम आँखो से ही पिया करते हैं|

- मौसम की पहली बारिश को अदा

Tuesday, May 22, 2012

ईलाज़

रोनेकी हजारों वज़ह है, हसनेकी एकभी नही। चलो... फ़िर हमने गम का ही मज़ाक बना दिया। अब हसने के लिए बहानों की कमी नही।